Monday, December 9, 2013

"आप" की छाप

"आप" की ये भी है एक छाप।
भाजपा का जोड़ तोड़ ना करने का संगलाप।
अरे बाप रे बाप !
ये तो है "आप" का अभिशाप।
लो भय्या, लग गई न वाट !!
बरसाती कीड़े कहते थे आप,
मानें न मानें आप।
अब तो हैं वो आप के बाप।।।


अब ज़रा कुंवें से बाहर तो आइए ! 
नज़रें उठाइए !
शर्म और लज्जा यदि  बाक़ी रह गई हो,
तो ज़रा सा लजाइए !
मौक़ा है अब भी सुधर जाइए।
वरना ....!!! आप तो समझदार हैं , समझ जाइए।




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